पापा
पिता को मैं कभी परिभाषित नहीं कर पाऊंगी परिभाषित करने खूबियाँ गिनाने बैठूंगी तो 2-4 जन्म निकल जाएंगे शायद तब थोड़ी अक्ल आए।
माँ हमे संस्कार देती है तो पिता ही है जो हमें चुनौतियों से बिना हार माने लड़ना, कठिन वक्त में संभलना, त्याग और परिश्रम सिखलाते है, पिता के प्यार और उनके त्याग का दुनिया मे कोई मोल नही,
पिता हमारी छाया तो कभी हमारे कवच है जैसे पिता ही है जो ख़ुद बारिश में भीगते है पर अपने बच्चों पर बारिश की एक बूंद तक नही पड़ने देते, पिता ही है जो ख़ुद धूप में ख़ुद चलते है पर बच्चों पर एक सूरज की किरण तक नही पड़ने देते, पिता हमारे संसार हैं जिनमे हम अपने आने वाले जीवन को ठीक प्रकार से देख समझ सकते है जिंदगी क्या होती है उसका असल अर्थ समझ सकते है,
बस ये कहना चाहती हूं जितना पिता का सम्मान अभी हो रहा है जब आप छोटे है बच्चे है, उतना ही सम्मान तब भी करना जब वह उस स्थिति में चले जायेंगे जब उनको तुम्हारे सहारे की जरूरत होगी, सहारा कहना गलत होगा या ये कहे उन्हें तुम्हारी और तुम्हारे हौसले और जो उन्होंने सिखाया है उसकी जरूरत होगी, उन्हें असली ख़ुशी तब ही होगी,
उस समय अगर कोई बच्चा अपने पिता के काम नही आता तो उस पिता का त्याग, हौसला और परिश्रम सब व्यर्थ मात्र रह जायेगा, उस पिता को उस उम्र में कितनी मानसिक प्रताड़ना सहनी पड़ेगी आप इसका अंदाज़ा भी नही लगा सकते है, यह लिखना पड़ा क्योंकि कहि ना कहि ये सच्चाई है, युही वृद्धाश्रम वालों का धंधा नही चल रहा है, अनेक प्रकार के वृद्धाश्रम है जैसा आपका बजट होगा उस प्रकार की आपको सुविधा मिलेगी पिता का सम्मान ही असली सुख हैं, पिता है तो परिवार है, मैं हूँ तुम हो संसार हो, आपको और आपके पिता जी को पितृ दिवस की बहुत शुभकामनाएं ।
- It's time for change 😉
Comments
Very heart touching words! ❤️
Very amazing ��
Dad my hero..!!
Thank you! :)
Keep reading :)
Keep reading!!